माँ बगला की उत्पत्ति

माँ बगला की उत्पत्ति

सृष्टि रचना के बाद भगवान विधि बहुत ही व्यथित रहा करते थे। उन्हें देवताओं माँ बगः बद्दानवों का आपसी बैर सदा ही खटकता रहता था। देवता सदाचारी तथा शान्ति प्रिय थे जबकि दानवगण सदाचारियों के प्राणों के भूखे थे। वे देवताओं की अपेक्षा अधिक • प्रोमि शक्तिशाली एवम् क्रूर थे परिणामतः देवताओं की संख्या में कमी होने लगी। वे असहाय बामुखी व निर्बल होकर सृष्टि से मिटने लगे। उनकी रक्षा के लिए अब यह आवश्यक हो गया कि का मन्त्र। अमृत की खोज की जाय। इसके लिए कूटनीति के द्वारा दानवों को भी मिलाया गया। नारदजे समुद्र के मन्थन के बाद अमृत व कुल अन्य १४ अमूल्य रत्न निकले। माँ लक्ष्मी समुद्र से देवता इन ही निकली थी। भगवान विष्णु ने मोहनी का रूप धारण करके अमृत को देवताओं में बाँट दिया। उन्होंने कपट रूपधारी राहु का अपने चक्र द्वारा दो खण्ड कर दिया, किन्तु वह अमृत पान कर चुका था जिससे उसके दो रूप (राहु और केतू) हो गये।

अब देवताओं की मृत्यु का भय जाता रहा किन्तु वे इसके बाद भी दानवों से पराजित होते रहे। वृत्तासुर जैसे भयंकर दानवराज के वध के लिए महामुनि दधिचि ने अपनी अस्थियाँ भी देवताओं को दे डाली थी। उनकी हड्डी से ही वज्र बनाया गया था। जीवन दानव महान तपस्वी भी होते थे। वे अपने योगबल से भी देवगणों पर विजय पा जाते थे। ब्रह्माजी भगवान शंकर के पास गये। भगवान शंकर अपनी प्रिया पार्वती के साथ पर्वत पर विराजमान थे। देवदार के वृक्षों के नीचे उनका प्रिय वाहन नन्दी बैठा था। रह-रह कर शिवगणों के हर-हर बम-बम का स्वर गूंज उठता था।

बह्माजी को अपने यहाँ आया देखकर भगवान भूतनाथ बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सृष्टिकर्ता को प्रणाम करके एक उच्च आसन पर बिठाया और प्रेमभाव से आगमन का कारण पूछा। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर तीनों आदि देवमाने गये हैं। तीनों की शक्तियाँ समान हैं। वे एक-दूसरे को समान आदर देते हैं। ब्रह्माजी ने कहा भगवान मैंने बहुत ही सतर्कता के साथ सृष्टि की रचना की है किन्तु दानव शक्ति के आगे ऐसा लगता है कि देव शक्तियाँ सदा अमर होते हुए भी निर्बल बनी रहेंगी। यह सुनकर भगवान शंकर हावा क्या कर सकता हूँ? आप श्री सिद्धि को कृपया हमें आदेश दें। हमारा कार्य तो सुष्टि का संहार करना है।

ब्रह्माजी ने कहा कि आप अपने प्रचण्ड स्वरूप के द्वारा असुरों को नष्ट करें शंकरजी ने कहा-प्रभो अधिकांश दैत्य दानव हमारे परम भक्त हैं वे हमारी आराधना के सदैव लीन रहते हैं। हम उनका प्रत्यक्ष रूप से कैसे अनिष्ट कर सकते हैं। हाँ, हम अपने अर्द्धनारीश्वर शक्ति रूप द्वारा दानवों की बुद्धि में परिवर्तन ला देंगे। वे उचित औ अनुचित के निराकरण करने में असमर्थ हो जायेंगे। मेरा यह शक्ति स्वरूप बगला के नाम से विश्व में प्रसिद्ध होगा।

एक बार की बात है कि असुरों के अनेकानेक प्राणघातक प्रहारों से क्षुब्ब होकर भगवान शंकर का मुख रक्तवर्ण हो गया। उनके मुख से क्रोध के कारण एक महान तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज की ज्वाला से समस्त दिशायें व्याप्त हो गयी, उस तेत्र में सूर्य सदृश्य ज्वाला पुंज होकर सम्पूर्ण लोकों में एक अनूठा कम्पन उत्पन्न कर दिया। इसके पश्चात् वह एक स्त्री के रूप में परिणित हो गया। शिव उग्र स्वरूपा होने के कारण स्त्रीरूप देवी के शीश पर चन्द्र जटित मुकुट व ललाट पर तृतीय नेत्र था देवीने शरीर पर पीत वस्त्र धारण कर रखे थे। उनके एक हाथ में शत्रुजिह्वा और दूसरे प्रलयंकर गदा थी।

माँ बगलामुखी की स्तुति

महादेवी को नमस्कार रौद्रा, नित्या, गौरी, धात्री, ज्योत्स्नामयी चन्द्र रूपिणं देवी बगला को नमस्कार हो नमस्कार हो। कल्याणी, वृद्धि और सिद्धि रूपादेवी को ह प्रणाम करते हैं। जगप्रतिष्ठा तथा कृति स्वरूपा देवी को हम बार-बार प्रणाम करते। जो देवी समस्त जीवों में क्षुधारूप से वास करती है ऐसी शक्ति स्वरूपा देवी वर्ज्यस्थानानि- नमस्कार हो नमस्कार हो। जो सम्पूर्ण प्राणियों में लज्जा, शान्ति, श्रद्धा, कान्ति, स्मृां दया, तुष्टि तथा चैतन्य रूप से व्याप्त है उन्हें हम बार-बार प्रणाम करते हैं। जो समन इन्द्रियों तथा अखिल जीव मात्र की अधिष्ठात्री है वह ईश्वरी हम सबकी आपत्तियों दूर करके कल्याण करें।

हे महामाये। तुम स्वाहा (देवताओं को भी पालने वाली) स्वधा (पितरेर सद्धिहानिः - का पालन करने वाला मन्त्र) वषट्‌कार स्वर (इन्द्र को यज्ञ भाग पहुँचाने वाला मन अमृत संध्या, सावित्री, संसार की जननी हो।

हे मातेश्वरी ! आप ही महा विधा, महामाया, महान, स्मृति और महामोहा हम आपकी वन्दना करते हैं।

मंदिर कैसे पहुंचे

rail
ट्रेन द्वारा

निकट रेलवे स्टेशन शाजापुर से 58 किमी एवं उज्जैन से 98 किमी दूर है। उज्जैन रेल, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बैंगलोर जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

road
सड़क के द्वारा

नलखेड़ा आगर मालवा सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप यहाँ टैक्सी किराए पर लेकर या उज्जैन (98 किमी), इंदौर (156 किमी), भोपाल (182 किमी) और कोटा राजस्थान (191 किमी) से बस पकड़कर आ सकते हैं।

airplane
वायु मार्ग

निकटतम देवी अहिल्या बाई होलकर हवाई अड्डा इंदौर, जो 156 किमी दूर है। यह मध्य प्रदेश का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है और दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, रायपुर और जबलपुर जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

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रोचक तथ्य